एक मात्र पन्ना नहीं, पूरी की पूरी किताब हो तुम। मेरी हर एक कहानी का, जीता वो खिताब एक मात्र पन्ना नहीं, पूरी की पूरी किताब हो तुम। मेरी हर एक कहानी का, ...
एक मात्र पन्ना नहीं, पूरी की पूरी किताब हो तुम। एक मात्र पन्ना नहीं, पूरी की पूरी किताब हो तुम।
वृध्दाश्रम ही छोड़ दो मुझको जो इतनी तुम पर भारी हूं। वृध्दाश्रम ही छोड़ दो मुझको जो इतनी तुम पर भारी हूं।
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो